रामायण काल का एक दुर्लभ स्थल-सीता घाट
यहाॅ स्थित है माता सीता की दिव्य चैकी
इसे अहंकारी नहीं उठा पाते जब कि भक्त आसानी से उठा लेते हैं । अशरफ आजमी
संवाददाता-सम्पदा न्यूज, सरैया, आजमगढ़
उत्तर प्रदेश के जिला अम्बेडकर नगर के ग्राम सभा पिण्डुरिया के गाँव सीताघाट में एक अलौकिक स्थान है जहाॅ सीता माता का दिव्य चैकी रखा हुआ है । इसके बारे में ऐसा कहा जाता है कि माता सीता जी जब श्री राम और लक्ष्मण जी के साथ वनवास जा रही थी तब चलते चलते वो एक ऐसे स्थान पर पहुचे जहा एक काफी पुराना तलाब था जो घने जंगल में था । जिस जगह माता जी बैठी थी वहाॅ काफी घना और जंगल का बड़ा हिस्सा था । वहाॅ उन्होने पीपल के पत्ते पर और पीपल के लकड़ी से रोटी बेला था । उस समय पीपल की लकड़ी सोने का बेलन और पीपल की पत्ती सोने की चैकी बन गयी । जब तक माँ सीता का मन चाहा तब तक वहा रही और वहाॅ से वन में आगे जाने लगी।
वहाॅ से जाने के कुछ वर्ष बाद दो चोर बैलगाड़ी लेकर पहुॅचे और चोरी करना शुरू किया । सोने का बेलन चोरों के हाथ लग गया लेकिन सोने की चैकी को वो नही ले जा पाये । यह पूछने पर कि सोने की चैकी को क्यो नही चोर ले जा पाये, तो वहाॅ के निवासियों ने बताया कि बेलन इसलिए चोरों के हाथ लग गया क्योंकि बेलन ऊपर था लेकिन सोने की चैकी जमीन में धँसी हुई थी इसलिए सोने की चैकी चोरों के हाथ नही लगी । जब चोर बैलगाड़ी से बेलन चुराकर जाने लगे और पास ही स्थित तलाब के किनारे से आगे बढ़ना शुरू किया तभी चोरों की बैलगाड़ी तलाब में धँस गयी । लोग बताते है कि उस दिन से सोने की चैकी पत्थर का बन गयी ।
एक महत्वपूर्ण बात यह भी है कि सोने की चैकी के सन्दर्भ में जो इन्सान अहंकार में आकर यह कह दे कि मैं इस चैकी को उठा लूंगा फिर चाहे वो जितना भी जोर लगा ले चैकी उससे नहीं उठेगा और जो इन्सान सच्चे मन से उसे उठाता है तो वह चैकी उठ जाता है । ऐसा कहा जाता है कि इस जगह बाबा गोविन्द जी रहना चाहते थे पर उनको बाबा चैकिया ने रहने से मना कर दिया था।
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