आवो जाने, विज्ञान
बरमूड़ा त्रिकोण
-चाहे नभ हो या जल, गायब हो जाते हैं सभी
-कारण मिले कई पर प्रमाणित नहीं कोई
-अन्य ग्रह के प्राणियों का हो सकता है ये कार्य
‘‘आज तक कोई इसके चपेट में आने पर नहीं बच पाया। कोलम्बस इसके चपेट में आने से बच गया था और भटक कर नयी दुनियाॅ में चला गया।’’
अटलाॅटिक महासागर के पूर्वी-पश्चिमी भाग में बरमूड़ा त्रिकोण है। यह समुद्री क्षेत्र मयामी, फलोरिडा और सेनजुआनस से मिल कर बनता है। इस क्षेत्र में आज तक अनगिनत समुद्री या हवाई जहाज गायब हो चुके हैं और आश्चर्य इस बात का है कि किसी का मलवा यहाॅ नहीं मिलता है। इस पर कई किताबे कई लेख कई फिल्में बन चुकी हैं पर कोई इसके कारण को स्पष्ट नहीं कर पाता। इसके जितने सम्भावित कारण हो सकते हैं हम आपको बता रहे हैं।
रसायन शास्त्रियों के अनुसार यह क्षेत्र मीथेन हाईड्ेट के विस्फोट के कारण आस पास के क्षेत्र के तमाम जहाज को यह समुद्र के गहराइयों में डूबो देता है। इस विस्फोट के कारण मीथेन की सान्द्रता आक्सीजन का अभाव पैदा करती है और सारे कण्ट्ोल फेल हो जाते हैं। वैसे यह सत्य है कि बरमूड़ा त्रिकोण के तलहटी में मीथेन की अथाह संग्रह है।
कुछ वैज्ञानिक इसे मानवीय त्रुटि और अनुभव का अभाव मानते हैं। कुछ का मत है कि सागर का यह क्षेत्र शक्तिशाली चुम्बकीय क्षेत्र है जहाॅ तरंगें और यंत्र काम करना बन्द कर देते हैं। कुछ का मत जबरजस्त बिजली की चमक और समुद्री लहरें इसका कारण हैं। इससे इलेक्ट्ानिक फील्ड बन जाता है। कुछ विनाशकारी मौसम कहते हैं तो कुछ समुद्री डकैत कारण मानते हैं।
कुछ वैज्ञानिक इसे उड़नतश्तरियों का क्षेत्र मानते हैं और यहाॅ उड़नतश्तरियाॅ देखी भी जाती हैं। अर्थात दूसरे ग्रहों के प्रणियों को कारण मानते हैं। पर यह एक रहस्य की बात है जिसको पूर्ण रूप से सही नही माना जा सकता है। सहाॅ गल्फ स्ट्ीम चलती है जो मेक्सिको की खाड़ी से निकलकर समुद्र के अन्दर नदी की तरह होती है।
इस क्षेत्र का सबसे पहले खोज करने वाले लगभग 550 वर्ष पहले कोलम्बस ने किया था कोलम्बस ही वह पहले नाविक थे जिनका सामना बरमूड़ा त्रिकोण से हुआ था यह 1942 में समुद्री यात्रा के दौरान बरमूड़ा त्रिकोण में कम्पास के विचित्र परिवर्तन की बात कही है। उनके कम्पास में परिवर्तन होने लगा था। नाविकों में हड़कम्प मच गया। समुद्री आग के गोले और तूफान दिखाई देने लगे। उसका जहाज जैसे तैसे उस क्षेत्र से बाहर निकला। वैज्ञानिकों ने इसे भ्रम करार दिया है। चाहे जो कारण हो बरमूड़ा त्रिकोण आज भी एक वैज्ञानिक चुनौती बनकर खड़ा है।
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