देवी तालाब मंदिर, जालंधर
त्रिपुरामालिनी माता का मन्दिर
मोनिका त्यागी राणा
सम्पादक-सम्पदा न्यूज
जालन्धर से
यहाॅ त्रिपुरामालिनी माता का मन्दिर, हनुमान जी का मन्दिर और अमरनाथ की गुफा की जैसी एक गुफा भी है। ऐसा माना जाता है कि यह लगभग 200 वर्ष पुराना और भारत के 51 शक्ति पीठों में से एक है।
देवी माॅ दुर्गा कें स्वरूपों में कई रूपों के विषय में हम बात कर चुके है। उनके कई शक्ति पीठों के विषय में हम आपकों जानकारी दे चुके है। आज हम जालंधर के देवी तालाब मंदिर, जो देवी दुर्गा को समर्पित है उसके बारे में बताना चाहेगें।
ऐसा माना जाता है कि यह लगभग 200 वर्ष पुराना मंदिर है । माता त्रिपुरामालिनी मंदिर इस मंदिर के परिसर में स्थित है और भारत के 51 शक्ति पीठों में से एक है।
इस दिव्य स्थान का इतिहास माता सती से जुड़ा हुआ है। अपने पिता दक्ष के द्वारा अपने पति भगवान शिव का अपमान किए जाने पर इन्होनें आत्मदाह किया था और कहा जाता है कि माता सती के आत्मदाह का समाचार सुनकर उनके पति भगवान शिव ने क्रोध मे अपनी तीसरी आँख खोल दी थी। माता सती के मृत शरीर को लेकर ब्रह्माण्ड में घूमते हुये तांडव नृत्य करने लगे थे।
भगवान के इस क्रोध के डर से और ब्रह्माण्ड को बचाने के लिये भगवान विष्णु ने अपना ‘सुदर्शन’ चक्र भेजा। उस सुदर्शन चक्र द्वारा माँ सती का शरीर टुकड़ो में कट गया और पृथ्वी पर बिखर गया। पृथ्वी के जिन हिस्सों में माता सती के शरीर के टुकड़े गिरे वह स्थान धन्य हो गया। वही पर शक्ति पीठों का निर्माण हुआ और वहाँ माता सती के मन्दिरों का निर्माण किया गया। माता त्रिपुरामालिनि मंदिर उस स्थान को दर्शाता है जिस स्थान पर माता सती का दाॅया स्तन प्राप्त हुआ था।
मंदिर की पुरानी संरचना को पुननिर्मित किया गया है और इसके पुराने ढांचे में कई तरह के बदलाव किये गये हैंैं। मंदिर परिसर में कुछ अन्य सरचनाओं का निर्माण किया गया है । यहाॅ पर विशाल तालाब हैं जो मुख्य मन्दिर के सामने है और पुराना है। मन्दिर का मुख्य आकर्षण यहाॅ के तालाब हैं और यही कारण भी है कि इस मंदिर को देवी तालाब मंदिर के नाम से जाना जाता है। मुख्य मन्दिर के अलावा देवी काली को समर्पित एक मंदिर भी है। हाल ही में अमरनाथ और वैष्णो गुफा मंदिर जैसी संरचना का निर्माण मंदिर परिसर में किया गया है। गुफा के प्रारम्भ होने से पहले एक विशाल बजरंग बली की मूर्ति भी स्थापित की गयी है जो बहुत ही आकषर््ाक लगती है।
आस्था और भक्ति के आलावा यहाॅ उत्सव मनाने के लिये भी आगंतुक मंदिर मे आते है। इस मंदिर के वार्षिक हरिबल्लभ संगीत सम्मेलन का आनन्द लेने के लिये लोग बहुत दूर-दूर से आते हैं।
मन्दिर में भक्तों के लिये रहने के लिये हर सुविधा उपल्ब्ध करायी गयी है।
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